Vishal Ramawat

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हाँ मैं किन्नर हूँ...(प्रतियोगिता)





हाँ मैं किन्नर हूँ...

कसूर क्या है,

कोई बतायेगा यहां

कोई मुझे कहता है ताली बजाने वाली तो कोई कहता है वो,

हाँ मैं किन्नर हूँ..

कोई मुझे हिजड़ा कहता है,

तो कोई मुझे छक्का कहता है,

मेरी पहचान को गाली की तरह लोग लेते है,

जब किसी को गाली देनी हो,

तुम उसे हिजड़ा कह देते हो,

मैं किन्नर हूँ तो मेरा कोई अस्तित्व नही

मैं भी तो दुसरों के जैसी ही तो हूँ

बाकियों को भी भगवान ने बनाया और मुझे भी.

मैं भी  तो मां की

कोख में नौ महीने रह कर आई हूं

पर मेरे साथ ही यह भेदभाव क्यू होता है।

हाँ मैं किन्नर हूँ...

मुझे हर कोई कहता है कुछ काम करो

भगवान ने हाथ पैर दिए है

ऐसे भीख क्यों मांगती हो

पर जब मैं काम माँगने जाती हूँ तो

वहीं लोग मुझे कहते है तुम तो ताली बजाने वालीं

तुम्हें कौन

काम पर रखेगा

तुम्हरा काम है ताली बजाना

हाँ मैं किन्नर हूँ...

मुझे कोई काम पर रखता है

न कोई मुझसे बात करता है।

मेरा कोई घर न मेरा कोई ठिकाना

समझ नहीं आता अगर है मेरा आस्तित्व समाज के लिए गाली

फिर क्यूं बजवाते हो हर शुभ काम पर मेरे हाथ से ताली

अरे मैं तो खुद के लिए अभिशाप हूं

फिर मेरी दुआयें वरदान क्यूं

सरकार ने मुझे तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी

पर तुम समाज वाले कब मान्यता दोगे

कब मेरे आस्तित्व को इज्जत दोगे

हाँ मैं किन्नर हूं...

दुत्कार का नहीं प्यार का हकदार हूं ।।

Vishal ramawat"सुकून"(जाना)

#प्रतियोगिता 

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5 Comments

Renu

27-Jan-2023 03:08 PM

मेरी जिंदगी का सबसे खुबसूरत लम्हा होता है जब मैं मेरी दोस्त (जिनसे मेरी मुलाकात भैया की शादी में हुई) तब बनाया है उनसे बात करती हुं जिन्हे दुनियां हिजड़ा कहती है लेकिन मेरे लिए वो हमेशा गजल ही रहेंगी🌺😇

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Swati chourasia

26-Jan-2023 06:37 AM

बहुत ही सुंदर रचना 👌

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बहुत ही उम्दा,,,, यथार्थ,,,

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